की पतझड़ भी रुसवा हो गया आज!!
कलियाँ भी खिल उठी, सावन भी लहरा उठा आज,
चाँद भी तो क्या करता, खुद को आप से छुपा लिया आज,
दीपक भी तो अकेला रह गया, जो तीतर भी आपके हो गए आज!!
आपने ये किस अदा से देखा हमें,
की पतझड़ भी रुसवा हो गया आज!!
वो आपका नाजो से चलना, हमें देख नजरो का झुकना,
वो फिर बातों का पलटना. जुल्फों का सवारना,
हमारे ही दिल को, हम से छीन ले गया आज!!
शम्मा भी कितनी जलती, जो महफिले ही राख हो गयी आज,
आपका ये नूर देख तो, खुदा ही खुद जमी पर उतर आया आज!!
आपने ये किस अदा से देखा हमें,
की पतझड़ भी रुसवा हो गया आज!!
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