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Sunday, 23 October 2011

पिता रूप में ईश्वर का प्रभास !!



सूरज की किरणों का अटूट प्रकाश,
चन्द्रमा की  रौशनी में ठंडकता का अहसास, 
सागर की घहराइयो में जीवन का कयास,
आकाश की सीमाओं की माप जाने का विशवास,
दीपक की रौशनी में किसी का प्यार,
एक कोरे कागज़ की तरह, पावन मन में बसने वाले, अस्तित्व की छाव,
संसार में जिन्दा होने का आभास,
तुम ही हो पिता रूप में बसने वाले ईश्वर का प्रभास !!



चट्टान समान अडिगता में सुरक्षा का अनुमान,
नदी समान कोमलता में लहरों का दुलार, 
पंछी बन खेतो से दाना चुग लाने की आस, 
ऋषि मुनि बन सन्मार्ग दिखाने का प्रयास,
तुम ही को तो हैं, सब कर्तव्यों को निभा जाने का अभ्यास,
तुम ही हो पिता रूप में बसने वाले ईश्वर का आशीर्वाद!!

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